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रविवार, 15 सितंबर 2013

कुछ सवाल मोदी से

      बी जे पी द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही मुख्य विपक्षी दल में चल रही उठापटक का दौर समाप्त हो गया है. इस प्रकार सरकार बनने की स्थिति में नेतृत्व के पहले दावेदार का नाम स्पष्ट हो गया है. साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि पार्टी पर आर एस एस का प्रभाव अटल-आडवाणी युग की तुलना में बढ गया है और इसे प्रभावी चुनौती मिलने तक यह बना रहेगा . आर एस एस को यह प्रभावी चुनौती पार्टी में मोदी के अलावा अन्य कोई देने की स्थिति में नहीं है. मोदी की अपनी मनमर्जी से कार्य करने की जो शैली है उसके कारण यह स्थिति भविष्य में पैदा हो सकती है. यह निर्भर इस बात पर करेगा कि मोदी पार्टी पर अपनी पकड कितनी मजबूत कर पाते हैं और उनके खुद के जो स्पष्ट समर्थक नहीं हैं उन्हें कितना निष्प्रभावी कर पाते हैं या फिर उन्हें अपना स्पष्ट समर्थक बना लेने में कितना समर्थ हो पाते हैं. मोदी का नाम एक अर्से से बहुचर्चित होने  और उनके द्वारा अनेक मंचों पर अपने विचार रखने के बाद भी अभी तक उन्होने मुख्यत: आर्थिक मुद्दों पर ही बात की है और इन पर उनके विचार जगजाहिर हैं पर राष्ट्रीय स्तर पर बहुत से महत्वपूर्ण मामलों में उन्हें लोगों के सामने अपनी नीति और विचार स्पष्ट करने हैं. यह निम्नवत हैं-

  • ·         देश की विदेश नीति क्या होगी,खास तौर पर इस बात को देखते हुए कि अमेरिकापरस्त पार्टी माने जाने के बावजूद पिछले कुछ समय से बी जे पी ने अनेक मुद्दों पर जिनमें आर्थिक पहलू भी शामिल है, ऐसा रवैया अपनाया है जो पश्चिमी हितों से अलग हैं और जिन पर कहीं-कहीं वे और साम्यवादी साथ-साथ खडे पाए गए हैं जैसे कि रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश के प्रश्न पर. दूसरे अमेरिका लंबे समय से मोदी को वीजा न देने पर अडा हुआ है. मोदी ने व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में अपने राज्य में  चीन और जापान के साथ संबंधों को तरजीह दी है.क्या ऐसा ही केंद्र में भी होगा ?

  • ·         देश की रक्षा नीति क्या होगी विशेषकर इस बात को देखते हुए कि सेनाओं के पास उन्नत किस्म के साजो-सामान  का अभाव है और कई नए तथा महत्वपूर्ण प्रस्ताव दलाली के फेर में फँस गए हैं. कई सरकारी संस्थानों के कार्यनिष्पादन तथा उसकी गति को देखते हुए भारतीय रक्षा उत्पादन क्षेत्र को गैल्वनाइज करने के लिए क्या किया  जाएगा.यहाँ प्राइवेट सेक्टर की भूमिका क्या होगी ?

  • ·         जो सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है वह यह कि मोदी को मुसलमानों के लिए हौवा बना कर खडा किया जा रहा है और उनके भय को दूर करने तथा उन्हें आश्वस्त करने के लिए वे क्या करेंगे ? यहाँ सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि गुजरात में बारह साल से दंगे नहीं हुए हैं और गुजरात में मुसलमान शिक्षा तथा नौकरी की दृष्टि से अच्छी स्थिति में हैं. अब तक इस बारे में मोदी से जब भी सवाल किया गया है ,उन्होने सीधे-सीधे इसका उत्तर देने के बजाय घुमा-फिरा कर जवाब दिया है. वे सीधे-सीधे संवाद कर इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं  ताकि लोग आश्वस्ति की स्थिति अनुभव कर सकें. मुसलमान इस देश की आबादी का पाँचवाँ हिस्सा हैं तथा  आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते. एक विद्द्वान के अनुसार भारतवर्ष में धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण जाति  आधारित समुदाय हैं और जातीय जनसंख्या के आधार पर  सुन्नी मुस्लिम इस देश का सबसे बडा जनसमूह हैं. इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक कहना उनके साथ नाइंसाफी है और देश की तरक्की में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.

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