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मंगलवार, 17 सितंबर 2013

अमेरिका में नस्लवादी भावनाएं!

           चौबीस वर्षीय भारतीय मूल की अमेरिका में ही जन्मी, नीना दावुलुरी जो भविष्य में कार्डियोलॉजिस्ट बनने का इरादा रखती हैं और डॉक्टर दम्पति की संतान हैं; मिस अमेरिका चुनी गई हैं. किसी भी लोकतंत्र में किसी भी नागरिक को वहाँ आयोजित होने वाली सभी गतिविधियों में जिनके लिए वह पात्रता पूरी करता है  भाग लेने का पूरा हक होता है, और इसे  ध्यान में रखते हुए नीना का मिस अमेरिका प्रतियोगिता में भाग लेना  और सफल होना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है. पर आश्चर्य का विषय वे टिप्पणियाँ हैं जो उनके मिस अमेरिका चुने जाने के बाद अमेरिका में की गईं. इनमें से कुछ निम्नवत हैं-

        "अरब ने जीती मिस अमेरिका प्रतियोगिता"

        "उम्म.....क्या हम 9/11  भूल गए हैं"

        "मिस अल-कायदा"

        "मिस टेररिस्ट"

        "कैसे..... एक विदेशी ने मिस अमेरिका प्रतियोगिता जीत ली.वह एक अरब है"

       "मिस अमेरिका ? क्या  आपका मतलब 7-11 से है."(उक्त टिप्पणी भारतीय मूल के लोगों द्वारा चलाए             जा रहे स्टोरों के संदर्भ में है.) 

       " मुस्लिम"

          मैं अमेरिकियों द्वारा  इसी प्रकार की नस्ली टिप्पणियाँ उनके अपने राष्ट्रपति ओबामा के बारे में  भी पहले देख चुका हूँ. यह टिप्पणियाँ इस तथ्य को बयान करती हैं कि वह माइंडसेट  जिसने दो-से तीन शताब्दी पहले तमाम एफ्रो-अमेरिकन लोगों को गुलाम बनाया था और जिससे एक लंबे संघर्ष के बाद अमेरिकी जनता को मुक्ति मिली और जिसके खात्मे के लिए अब्राहम लिंकन तथा मार्टिन लूथर किंग को शहादत देनी पडी आज भी अमेरिका में साँसें ले  रहा है. जिस तरह भारतीय लोकतंत्र को हर प्रकार के भेदभाव से मुक्त वास्तविक लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए लंबा संघर्ष करना है वैसे ही अमेरिकी लोकतंत्र को भी नस्ली माइंडसेट को खत्म करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना है.

          पर इन  सबसे आगे बढकर जो बात आश्चर्यचकित करने वाली है वह अमेरिकियों की सामाजिक विज्ञान ,इतिहास और भूगोल के प्रति अज्ञानता.शायद ज्ञान के इसी गिर रहे स्तर के कारण उन्हे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारतीय और चीनी प्रतिभाओं को अपने देश में आयात करने की जरूरत पड रही है.

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