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सोमवार, 30 दिसंबर 2013

आतंकी परमाणु हमले का खतरा वास्तविक है !

           आतंकी परमाणु हमला कोई दूर की कौडी या कल्पनालोक की अवधारणा नहीं बल्कि एक वास्तविकता  है. समाचारपत्रों में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन के मुखिया यासीन भटकल ने पूछ्ताछ के दौरान एन आई ए तथा पुलिस को बताया है कि उसके इरादे सूरत पर आतंकी परमाणु हमला करने के थे तथा ऐसा कर सकने की संभावना को टटोलने के लिए उसने पाकिस्तान  स्थित अपने भाई तथा मार्गदर्शक रियाज भटकल से इस विषय में बात  की थी कि क्या इसकी व्यवस्था की जा सकती है. इस पर रियाज ने उसे उत्तर दिया कि पाकिस्तान में सब कुछ संभव है. रियाज ने कहा कि  परमाणु हमला किया जा सकता है पर  उसे यह झिझक थी कि उसमें मुसलमान भी मारे जाएंगे. यासीन ने इसका निदान यह बताया कि मस्जिदों में प्रचार कर मुस्लिमों को शहर खाली कर देने के लिए कह दिया जाएगा. यासीन के द्वारा सुझाया गया यह समाधान किसी नौसिखिए की सी बात लगती है क्योंकि मस्जिदों के माध्यम से सभी मुसलमानों  को शहर  खाली करने के लिए  कहने पर इंटेलीजेंस एजेंसियों  को इसकी खबर नहीं हो जाती इसकी संभावना न के बराबर थी.  पर जब किसी के ऊपर शैतान सवार हो जाता है तो वह ऐसे तथ्यों को नजरंदाज करने पर भी उतारू  हो जाता है.  यासीन के अनुसार वह थोडे दिनों के बाद ही गिरफ्तार हो गया और इस कारण  अपनी कार्ययोजना को अंजाम नहीं दे सका.

             नि:संदेह पाकिस्तान एक-दो दिन में इसका खंडन कर देगा तथा कहेगा  कि उसके परमाणु ठिकाने पूरी  तरह सुरक्षित हैं  और उसके परमाणु ठिकानों एवं परमाणु सामग्री की सुरक्षा के लिए की  गई व्यवस्था  फूलप्रूफ  है. पर इसमे दो पेंच  हैं.पहला तो यह कि पाकिस्तान में प्रत्येक स्थान पर आतंकियों  से सहानुभूति रखने वाले तत्व हैं जो उनकी मदद के लिए तैयार रहते हैं.पाकिस्तानी सेना में ऐसे तत्व निश्चित रूप से हैं और साथ ही यह तत्व पाकिस्तान की परमाणु व्यवस्थाओं में  भी हो सकते हैं. दूसरे अभी कुछ महीने पहले आतंकियों ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमला किया था जिसमें वे असफल रहे थे. पर  उन्होंने इस तरह की जुर्रत की तथा वे प्रथम रक्षा पंक्ति पर असफल  ही सही, हमला कर सके यह स्वयं में बडी बात है.

          एक अन्य तथ्य  है  जिससे  न्यूक्लियर फिजिक्स पढने  वाले वाकिफ हैं, और वह यह है कि परमाणु विस्फोट की मैकेनिज्म कोई बहुत उलझी हुई नहीं बल्कि  साधारण है, मुख्य समस्या वीपन ग्रेड यूरेनियम या थोरियम की उपलब्धता है और इसके उपलब्ध हो जाने पर इस्लामी आतंकी संगठनों के पास इतना टेक्निकल एक्सपर्टाइज  निश्चित रूप से है कि वे परमाणु विस्फोट को अंजाम दे  सकते हैं  क्योंकि उनके  साथ तकनीकी ज्ञान रखने वाले तथा इंजीनियर भी हैं. इसी के बलबूते वे 9/11 की घटना को अंजाम दे सके थे.

          अत: विश्व के  सभी जिम्मेदार देशों को  आतंकी परमाणु हमले की वास्तविकता को समझते हुए इस समस्या पर  मिल- बैठ कर  विचार करने और  इसके निमित्त निवारक तथा प्रतिकारात्मक उपाय तत्परता से करने की जरूरत है  अन्यथा ऐसा न हो कि जब कुछ भयावह घटित हो जाए तभी दुनिया जगे पर तब तक बहुत बडा नुकसान हो चुका होगा. 

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