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बुधवार, 12 मार्च 2014

"क्लब 160".

          आपने बहुत से क्लबों के बारे में सुना होगा. क्लब का आशय साधारणतया ऐसी जगह से समझा जाता है जहाँ लोगों को सामाजिक मेल-जोल का, कुछ मनोरंजन का और कहीं-कहीं कुछ खास उद्देश्य जैसे कि रोटरी क्लबों या लायंस क्लबों में सामाजिक कार्यों का  अवसर प्राप्त होता है. प. बंगाल में राजनीतिक उद्देश्यों से पहले वाम मोर्चे ने मुहल्ला स्तर पर क्लब बनाए और बाद में तृणमूल  कांग्रेस ने भी यही ढर्रा अपनाया. पर मैं समाचारपत्र में एक नए क्लब के बारे में पढकर हतप्रभ हूँ.

         इस क्लब के बारे में पता लगाया है नारी अधिकारों के लिए लडाई करने वाली सुश्री मधु किश्वरजी  ने. मधुजी के अनुसार यह क्लब भा.ज.पा. के उन नेताओं का है जो  हाशिए पर ठेल दिए गए हैं अथवा जिन्हें भविष्य मे  हाशिए पर ठेले जाने का भय सता रहा है अथवा फिर जिन्हें लग रहा है कि जो स्थान उनका था  उसे मोदी ने छीन लिया है. इन नेताओं की यह धारणा है कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिक अछूत माने जाने वाले  मोदी तभी प्रधानमंत्री बन पाएंगे जब भा.ज.पा. को दो सौ के आस-पास या अधिक सीटें मिलें.   यदि आगामी लोकसभा चुनाव में भा.ज.पा. की सीटें एक सौ साठ के आस-पास सिमट जाएं तो सहयोगी न मिलने के कारण मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे और उस स्थिति में उनमें से किसी एक को यह मौका सहयोगी दल साथ ले आ पाने के कारण  मिल जाएगा अन्यथा फिर वे कम से कम  हाशिए पर जाने से बच जाएंगे..मधुजी के अनुसार मोदी की राह में अडंगे लगाने के लिए इस क्लब के सदस्य ऐसे मुद्दे उछाल रहे हैं जिनके कारण भा.ज.पा. बहुत अधिक बढत  बनाने की तरफ  अग्रसर न हो  पाए.  शायद शंकर सिंह बघेला,चिम्मनभाई शुक्ला,सुरेशभाई मेहता और सबसे बढकर केशू भाई पटेल की छवि इन नेताओं की आँखों के सामने घूम   रही है. है.'क्लब 160' के अस्तित्व के प्रमाण के तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि संघ सरचालक  द्वारा कही गई यह बात कि नमो-नमो करना संघ का काम नहीं है जो यह बताने के लिए थी कि संघ अराजनैतिक संगठन है ,इस क्लब से सहानुभुति रखने वाले किसी संघी बंधु  द्वारा ही मीडिया को लीक की गई है.

          "क्लब 160 " का सचमुच  अस्तित्व है या नहीं यह चर्चा का विषय हो सकता है पर यह तो सत्य है ही कि राजनीति जो न कराए वो  कम है. मोदी स्वयं महत्वाकांक्षी हैं इस कारण वे दूसरों की महत्वकांक्षा पर तो प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकते. पर उन्हें कम से कम अपने साथियों  की आशंकाएं जरूर दूर करने का प्रयास करना चाहिए जिनमें से अनेक उनके वरिष्ठ हैं अन्यथा इस "क्लब160" के सदस्य ही उनके मार्ग में उनके विरोधियों  से कहीं अधिक बडे कंटक साबित होंगे. 

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