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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

बापू और मार्टिन लूथर किंग जूनियर की मुलाकात (कविता- काल्पनिक संवाद)

-बापू और मार्टिन लूथर किंग जूनियर की मुलाकात-

स्वर्गलोक में प्रातः भ्रमण पर निकले थे बापू आज
मार्टिन लूथर किंग जूनियर से हो गई मुलाकात
किंग ने जब पूछा कुशल क्षेम, बापू ने कहा
मैं दु:खी हूँ किंग, निश्चय ही मैं दु:खी हूँ
किस तरह मेरे भारत में लोग
धर्म को झगड़े का विषय बना रहे हैं
रामराज्य के मेरे सपने को झुठला रहे हैं

धर्म को मुहरा बना कर
रोज कोई न कोई नया शिगूफा छोड़ देता है
लोग गलियों में, चाय की दुकानों पर,बसों में
कॉलेज में, आफिस में और रेलगाड़ियों में
काम-काज छोड़ बहस में उलझ जाते हैं
टीवी चैनलों को मिल जाता है एक मुद्दा
फिर कुछ लोग टीवी स्क्रीनों पर
आपस में भिड़े नजर आते हैं

किंग ने कहा मैं समझ गया बापू
आप लोगों के आचरण से दु:खी हैं
पर शायद उतना ही
 किसी की वक्तृता से पीड़ित हैं
अपनों की करतूतों से जब
दूसरों को हँसने का मौका मिलता है
निश्चय ही ऐसा क्षण बहुत दु:खमय होता है
पर एक बात बताइए बापू
अपनों की हरकतों पर दु:खी होने का
सिलसिला क्या कोई नया है
क्या इससे पहले कभी
आपको दु:ख नहीं हुआ है

बापू बोले तुमने दु:खती रग पर
हाथ रख दिया है किंग
सन उन्नीस सौ सैंतालिस की गर्मियाँ
मेरे लिए बेहद दु:खभरी थीं
मेरे भारत के दो टुकड़े करने के निर्णय पर
मेरे ही शिष्यों ने मुहर लगा दी थी
मेरी कही बात अनसुनी कर दी थी
अब्दुल गफ्फार खाँ और मौलाना आजाद ने
मेरी बात सुनी और रखी थी
पर उनकी भी न एक चली थी
भारत माँ की लाज न रह गई थी
मुझे जीने की चाह न रह गई थी
हिंसा का भयंकर तांडव छिड़ गया था
अपनों को बचाने के लिए
मुझे जीवित रहना पड़ गया था

पर आशा का बीज कहीं पनप रहा था
मैंने अपने मन में एक सपना जीवित रखा था
देश के दोनों टुकड़े एक दिन करेंगे गलती का अहसास
दोनों फिर से मिलकर एक हो जाएंगे थी यही आस
कुछ लोगों के लिए मेराअस्तित्व बेमानी हो चला था
दोनों नए देशों के एक होने का सपना मेरे लिए संजीवनी था
वही संजीवनी ले ये बूढ़ा इधर-उधर फिरता था
अशांत हो चले लोगों को शांत कराता फिरता था

फिर एक दिन सिरफिरे नाथू ने
भारतभू पर मेरी भूमिका का अंत कर दिया
मैं भी अपने सपने वहीं छोड़ बैकुंठ आ गया
पर दु:खी होने-हवाने का सिलसिला जारी है
दुनिया अब भी न चेती किंग तो आने वाले दिन भारी हैं

किंग ने कहा आप सच कहते हैं बापू
मैं भी दु:खी हूँ बापू, निश्चय ही मैं दु:खी हूँ
आप्रवासियों के मेरे देश अमेरिका में
धर्म और नस्ल के नाम पर घृणा का खेल
अब भी जारी है
बलबीर सिंह सोढ़ी की हत्या
एरिक गार्नर और माइकेल ब्राउन की हत्या
सुरेशभाई पटेल को अपंग कर देने वाला हादसा
चैपल हिल में बरकत परिवार के तीन प्यारे सदस्यों की हत्या
# ब्लैक लिव्ज मैटर के बाद
# मुस्लिम लिव्ज मैटर और इसके बाद आएगा
# हिन्दू लिव्ज मैटर और # सिख लिव्ज मैटर
सच है बापू दु:खी होने-हवाने का सिलसिला जारी है
दुनिया अब भी न चेती तो आने वाले दिन भारी हैं
-संजय त्रिपाठी

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