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शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

क्या नितीश कुमार का सपना साकार होगा?

                         दृश्य-1
          23 नवंबर, 2005 के दिन मैं दार्जिलिंग में एक कांफ्रेंस में भाग लेने के बाद न्यू जलपाई गुड़ी से बरेली के लिए एक सायंकालीन एक्सप्रेस ट्रेन से जो दिल्ली जाती थी, रवाना हुआ। साथ में मेरे मित्र एस पी तिवारी जी थे। समाचार आ चुका था कि बिहार में एक अरसे के बाद लालूजी की निर्णायक हार हुई है और एन डी ए गठबंधन विजयी हुआ है और 24 नवंबर,2005 को नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करने वाले हैं। 
          ए सी 3 कंपार्टमेंट था।रात ग्यारह बजे मैं ऊपर की बर्थ पर सोने की कोशिश में था। नीचे की बर्थ पर तिवारी जी सो रहे थे । लगभग साढे ग्यारह बजे अचानक किसी के जोर-जोर से गाने की आवाज आने लगी-'चल-चल मेरे हाथी......'। ट्रेन में वैसे भी मेरे लिए सोना मुश्किल रहता है,ऊपर से यह विघ्न! फिर मन में सोचा बिहार-झारखंड का इलाका हैं। कानून को वैसे भी यहाँ लोग अपने अँगूठे तले रखते हैं। ज्यादा बोलना ठीक नहीं है। गाने वाला शायद कुछ गाने गाकर शांत हो जाएगा। पर बंदा था कि बुलंद आवाज में एक के बाद एक गाने गाता गया और मैं उसे कोसता रहा। खैर, 24 नवंबर की तिथि शुरू हो गई और पता नहीं कब देर रात गए मुझे नींद आ गई और मैं सो गया।
        लगभग चार बजे सुबह बगल से जोरों से आ रहे झगड़े के स्वर ने मुझे जगा दिया। कोई कह रहा था-"गाना गाता है, ,बहू-बेटी के आगे गाना गाता है ,मड़वारी है " । 
फिर धपाक-धपाक-धपाक आवाज आई। 
अब अन्य कोई बोल रहा था- " न टिकट है,न रिजर्वेशन "। 
फिर पहला स्वर बोला- "रात भर से टी टी को हवा दे रहा है।" 
 फिर दूसरा स्वर- " किसी से खुद को जार्ज फर्नांडीज का साथी बता रहा है, और किसी से नीतिश कुमार का।"
 पुन: पहला स्वर- " ऐसे ही रात भर से सबको हवा देकर बैठा हुआ है"।
 तब तक वहाँ नीचे से उठकर तिवारी जी भी पहुँच गए थे। कोई कह रहा था- "इसे पुलिस के पास ले चलो" । 
फिर आवाज आई - "इसे टी टी के पास ले चलो", यह तिवारी जी थे।
 फिर पहले वाला स्वर बोला-"अभी तो सरकार बनिबै नहीं किहा और आप सबका ई हाल है।"

                          दृश्य-2
15 नवंबर, 2015 के दिन मेरे एक सहकर्मी श्री गौतम सिन्हा छुट्टी लेकर छठ पूजा के उपलक्ष्य में परिवार के साथ हावड़ा से रेलगाड़ी द्वारा स्लीपर क्लास में अपने घर नालंदा जा रहे हैं। सभी अपनी-अपनी बर्थ पर सो रहे हैं। रात 2 बजे झाझा के पास एक कोई व्यक्ति जोर-जोर से डंडा पटकता है और कहता है- "उठो।" 
गौतम सिन्हा जाग जाते हैं। कहते हैं-" अरे भाई, मेरा बख्तियारपुर तक परिवार के साथ रिजर्वेशन है। कहीं और जगह देख लो"। गौतम सिन्हा के अनुसार संबन्धित व्यक्ति देखने में नेता लग रहा है।
नेता जैसा व्यक्ति-" मालूम है। पर जानते नहीं हो लालू का राज आ गया है। उठ जाओ और बैठने दो।"
गौतम सिन्हा- " लालू का राज है! नीतिश का राज नहीं है?"
ऊपर की बर्थ पर लेटा एक व्यक्ति जोर से चिल्लाता है- " क्या है नींद खराब कर रहे हो? रिजर्वेशन होने के बाद भी चैन से सोने नहीं दे रहे हो।"
नेता जैसा व्यक्ति- " अब. .......का राज है। दो-तीन मर्डर और कर दूँगा तो क्या फर्क पडेगा?"
गौतम सिन्हा- " इतनी सी बात पर मर्डर करने की जरूरत नहीं हैं। सात नं बर्थ टी टी की है। वो ए सी कंपार्टमेंट में चला गया है। उधर चले जाओ।"
नेता जैसा व्यक्ति यह बड़बड़ाते हुए कि दो-तीन मर्डर और कर दूँगा तो क्या फर्क पड़ेगा, सात नं बर्थ की तरफ चला जाता है।

                       दृश्य-3
(जो पूरे भारत ने आज विभिन्न टी वी चैनलों पर देखा ) - आज 20 नवंबर, 2015 के दिन नीतिश कुमार जी ने 28 मंत्रियों के साथ पाँचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इस मौके पर नौ राज्यों के मुख्य मंत्री और शीला दीक्षित- केजरीवाल, बाबूलाल मरांडी-हेमंत सोरेन, शरद पवार- रामदास कदम,ममता बनर्जी- सीताराम येचुरी जैसे परस्पर विरोधी तत्व, केन्द्र के सत्ता पक्ष की तरफ से वेंकैया नायडू एवं रूडी सहित विरोध पक्ष के अनेक नेता एवं विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद हैं।
          शपथ ग्रहण के मौके पर इतने बड़े जमावड़े के अनेक निहितार्थ लगाए जा रहे हैं। पर इसमें सबसे बड़ा निहितार्थ यह है कि नीतिश कुमार अखिल भारतीय स्तर पर अपनी स्वीकार्यता दिखा कर नरेन्द्र मोदी के सामने खुद को एक काउन्टर मैग्नेट के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहते हैं। पर शाम को तेजस्वी यादव की उपमुख्यमंत्री के तौर पर घोषणा के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि नीतिश कुमार का वर्तमान शासनकाल लालूजी की छत्रछाया के कारण तलवार की धार पर चलने के समान है। यदि इसके बाद भी वे अपनी साफ-सुथरी और विकास पुरुष की छवि को बचाए रखने में समर्थ होंगे तो यह चमत्कार से कम नहीं होगा और उस स्थिति में ही वे नरेन्द्र मोदी के विकल्प के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट करने में सक्षम हो सकेंगे। एक सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या बिहार बदलेगा और यदि हाँ तो किस दिशा में बदलाव होगा। यदि नीतिश कुमार यह बदलाव सकारात्मक दिशा की तरफ कर सकने में स्वयं को सक्षम साबित करते हैं तभी वे स्वयं को नरेन्द्र मोदी के विकल्प के तौर पर पेश कर सकेंगे। 



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