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शनिवार, 26 दिसंबर 2015

मोदी जी ने डाल दिया चक्कर में !

          जब से मोदी जी अचानक पाकिस्तान हो आए हैं मुझे यह गीत फिल्मी गीत याद आ रहा है -"उन्हीं से मुहब्बत उन्हीं से लडाई, अजी मार डाला दुहाई-दुहाई।" ऐसा लगने लगा है जैसे कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते उन प्रेमियों की तरह हैं जो आपस में खूब झगडते भी हैं और फिर एक दूसरे को मनाने की कोशिश भी करते हैं यानी कि 36 से 63 और 63 से 36 का सिलसिला चलता ही रहता है।
          प्रधानमंत्री एवं भाजपा के कुछ विरोधी यथा नेशनल कांफ्रेंस और साम्यवादियों ने तो अपनी नीतियों के प्रति वैचारिक ईमानदारी दिखाते हुए इस कदम का स्वागत किया। पर जद यू ,आप और कांग्रेस जैसे दल जो मोदी विरोधी राजनीति के केन्द्र में स्वयं को स्थापित करना चाहते हैं बडे पसोपेश में हैं। विरोध तो करना ही है पर सबके तर्क अलग-अलग हैं। के सी त्यागी को अचानक हेमराज की याद आ गई है । आनंद शर्मा के मुताबिक मोदी सरकार की पाकिस्तान को लेकर कोई नीति नहीं है। शिवसेना को भी उन्हीं से मुहब्बत उन्हीं से लडाई की तर्ज पर कुछ दिन चिल्लाने का मौका मिल गया है। एक कांग्रेसी भाई को तो मैंने फुसफुसाकर यह कहते सुना कि हमारे अय्यरजी पाकिस्तानियों को मोदीजी को हटाने की जो सलाह दे आए थे उसी से डरकर मोदीजी पाकिस्तानियों से दोस्ती करने पहुँच गए। खुर्शीद जी जिन्होंने मोदी को पाकिस्तान से बातचीत बंद करने के लिए पानी पी-पीकर पाकिस्तान में कोसा था पता नहीं अपने और कांग्रेसी भाइयों की राय से इत्तफाक रखते हैं या नहीं ! है न मामला चक्करदार !

         वैसे मोदी जी आपके इस कदम से चक्कर में तो मैं भी पड गया हूँ और मैं क्या आधा से हिन्दुस्तान चक्कर में है। ये मोदी की खोपडी में क्या समाया कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद की तरफ उँगली उठाने के बाद मोदी जी उसी पाकिस्तान में पहुँच गए। क्या वे बाजपेयी जी के पदचिह्नों पर हैं ? तो क्या फिर अब कारगिल फिर से दुहराया जाएगा? शरीफ साहब बार-बार नेक इरादों का इजहार करते हैं। पर पाकिस्तानी आर्मी हमेशा कबाब में हड्डी बनने को तैयार रहती है। तो क्या अब पाकिस्तानी सेना अपने इरादों में बदलाव लाने को तैयार हो गई है , या फिर गलबहियाँ की फोटो खिंचवाने, मुस्कराहटों के साथ हाथ मिलाने और ये दोस्ती हम नहीं छोडेंगे की तर्ज पर हाथों में हाथ डाले निकलने और भेंटों के आदान-प्रदान के कुछ अरसे बाद फिर आतंकवादी हमले, सीमा पर गोलीबारी या फिर हमारे जवानों पर घात लगाकर हमले की पुरानी कहानी दुहराई जाएगी। 

         मोदीजी बहुत बडा दाँव आपने खेला है। पर चलिए उम्मीद रखते हैं कि आपने गुणा-जोड बाकी भाग सब ठीक से कर लिया होगा। आखिर आप राजनीति के कच्चे खिलाडी तो हैं नहीं और न ही अब तक कूटनीति के कच्चे खिलाडी साबित हुए हैं जिसकी उम्मीद बहुत से लोग लगाए बैठे थे। पर अब आपके इस कदम से ऐसे लोगों की बाछें खिल गई हैं। उन्हें लग रहा है कि अब उनकी उम्मीद पूरी हो जाएगी। 

          पर उनकी उम्मीदें सही न साबित होंऔर आप अपनी जगह सही साबित हों तो शायद यह इस देश के साथ-साथ इसके आस-पडोस के लिए भी अमन चैन और तरक्की का रास्ता खोलेगा। इतिहासपुरुष नाउम्मीदी में भी उम्मीद और इसके लिए नए-नए तरीके तलाशते हैं और इंशा अल्लाह आप वह इतिहास पुरुष साबित हों। एक संघी भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती भरा रिश्ता कायम कर सके तो इससे बढकर भारतीय लोकतंत्र की सफलता का उदाहरण क्या होगा।





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