hamarivani.com

www.hamarivani.com

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

जगमगाहट ने छुपा रखे हैं कितने पैबन्द !

   


           मेरे फ्लैट के सामने इस बहुमंजिली इमारत में एक उद्योगपति निवास करते हैं। पर जब आप नीचे सड़क के किनारे फुटपाथ पर देखेंगे तो नीचे तमाम लोग ऐसे मिलेंगे जिनका निवास स्थान फुटपाथ ही है। वहीं शाम को ईंटें लगाकर चूल्हा जला लिया जाता है जिन पर खाना पकता है। पटरी पर ही रात में और दोपहर में भी सोने की व्यवस्था हो जाती है। गुदडी में लिपटा लाल और पास ही लेटी उसकी माँ दिखाई दे जाती है। कहीं 80 वर्ष की कोई वृद्धा लेटी नजर आती है जिससे लगता है कि समाज के इस तबके को शायद वृद्धाश्रमों की जरूरत नहीं है।जो ज्यादा भाग्यशाली हैं उनके पास तख्त या दीवान जैसा कुछ है जिस पर दिन में धन्धे-पानी का काम हो जाता है और रात में सोने का। सर पर छत के लिए खुला आसमान है।हो सकता बारिश में फुटपाथ के निवासी अपने लिए अस्थाई कुछ छत जैसा लगा लेते हों जिसकी कोई संभावना मुझे दिखाई नहीं देती । बारिश आएगी तभी पता चल सकेगा। थोड़ी दूर पर सुलभ शौचालय भी है। प्रशासन ने एक अच्छा काम किया है कि सड़क और फुटपाथ के बीच लोहे की रेलिंग लगा दी हैं। इससे मुंबई में सलमान खान की गाड़ी से जैसा हादसा हुआ वैसा यहाँ होने की संभावना कम है। हमारे प्रधानमंत्री ने 2022 तक प्रत्येक भारतवासी के सर पर छत उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। पर इन तमाम लोगों के सर पर छत मयस्सर हो पाएगी मुझे इसमें संशय है।

          यहाँ कोलकाता में मैंने हाथी बागान क्षेत्र में देखा है कि सड़क के किनारे फुटपाथ पर लोगों ने छोटे-छोटे कमरे ( 4'x6'. 6' x 6', 6'x 8' के बना लिए हैं ( संभवत: स्थानीय रूप से रसूख रखने वालों की कृपा से) जिसमें उनकी पूरी गृहस्थी सिमटी रहती है। शायद जब वे लोग गाँव जाते होंगे तो कहते होंगे कि कलकत्ते में हमारा अपना घर है। पर तमाम लोग हैं जो इतने भी भाग्यशाली नहीं हैं। ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि शहर रात में रोशनी से जगमगाता है। पर इस जगमगाहट को देखकर मैं यही सोचता हूँ कि इसने कितने पैबन्द छुपा रखे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें