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रविवार, 13 सितंबर 2015

हिन्दी ! (कविता)

हिन्दी दिवस पर शुभकामनाओं के साथ

               -~  हिन्दी !  ~-
मैं तुलसी,सूर और कबीर की बानी हूँ
मीरा और महादेवी की आँखों का पानी हूँ
हूँ मैं जन-गण के परस्पर संवाद की भाषा
मैं स्वतंत्रता के संघर्ष की अथक कहानी हूँ।।

भूषण के लिए मैं शिवा की तलवार भवानी हूँ
बिहारी के लिए मैं राधा की चूनर धानी हूँ
 रहीम, रसखान के लिए भक्ति का अर्घ्य
नानक और गुरू गोविन्द की मैं गुरबानी हूँ।।

मैं गंगा, यमुना, सरयू का बहता पानी हूँ
साहित्य-आकाशगंगाओं में लासानी हूँ
प्रसाद,पंत और निराला का मैं छायावाद
भारतेन्दु और बच्चन के गद्य की रवानी हूँ।।

दक्कनी, हिंदवी के रूप में गई जानी हूँ
रेख्ता के तौर पर भी गई पहचानी हूँ
फौज और प्रशासन की कब से मैं भाषा
खुसरो और गालिब के लिए मैं हिंदी रानी हूँ।।

संस्कृत की दुहिता के रूप में गई बखानी हूँ
भारतीय भाषाओं की मैं बहन सयानी हूँ
मेरी बढ़ती महत्ता को रहा विश्व पहचान
राजभाषा बन मैं देश की भाषा-कमानी हूँ।।
-संजय त्रिपाठी

1 टिप्पणी:

  1. सूर तुलसी की बानी और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की वाणी को शत-शत नमन

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