गजल
उसके हुस्नोजमाल को खूबसूरत समझ निसार था मैं
पर होशमंद हो गया हूँ मैं, मेरा कत्ल हो जाने के बाद।।
वो हैयाल भी हैरान रह गया है मेरी जिंदादारी देख
खड़ा हो जाता हूँ फिर-फिर से कत्ल हो जाने के बाद।।
मुझको दुश्मन समझने वाले हिफ्जेमातकद्दम कर लो
होश आएगा तुम्हें भी पर सफीना डूब जाने के बाद।।
अपनी शमशीरें अपने खंजर फिर से संभाल रहे हैं वो
"संजय" चक्रव्यूह से निकलूँगा पर अभिमन्यु बनने के बाद।।
-संजय त्रिपाठी
मुझे देखकर आज वह मुस्कुराया बड़े अरसे के बाद
मेरा कातिल ही खबर दे गया मुझे कत्ल करने के बाद।।उसके हुस्नोजमाल को खूबसूरत समझ निसार था मैं
पर होशमंद हो गया हूँ मैं, मेरा कत्ल हो जाने के बाद।।
वो हैयाल भी हैरान रह गया है मेरी जिंदादारी देख
खड़ा हो जाता हूँ फिर-फिर से कत्ल हो जाने के बाद।।
मुझको दुश्मन समझने वाले हिफ्जेमातकद्दम कर लो
होश आएगा तुम्हें भी पर सफीना डूब जाने के बाद।।
अपनी शमशीरें अपने खंजर फिर से संभाल रहे हैं वो
"संजय" चक्रव्यूह से निकलूँगा पर अभिमन्यु बनने के बाद।।
-संजय त्रिपाठी
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