आसमां पे बादलों का पहरा बैठा हुआ है
पर बेखबर शहर अभी सोया हुआ है।।
कलेजे में ठंडक लिए आ गए हैं मेहमां
जिनके आगोश में जहाँ सिमटा हुआ है।।
तपन और उमस से हर शख्स परेशां था
सहला रही है मौजे नसीम ये किसकी दुआ है।।
चले न जाएं दिल को सुकूँ देने वाले यायावर
रोकना आसमां पे कारवाँ जो ठहरा हुआ है।।
गमकने लगी धरती फिर से लिए सोंधी महक
गिरती अमृत की बूँद ने उसे छू क्या लिया है।।
तान कर हिफाजत के लिए बरसाती चादर
धरती के दामन में गरीब दुबका हुआ है।।
देख श्याम मेघ छटा दिल में लिए उल्लास
नाचता कवि मन 'संजय' आज मोर हुआ है।।
- संजय त्रिपाठी
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