hamarivani.com

www.hamarivani.com

रविवार, 28 जुलाई 2013

हिंदू राष्ट्रवादी या राष्ट्रवादी हिंदू या फिर सिर्फ राष्ट्रवादी!

          नरेंद्र मोदी ने लंदन की एक न्यूज एजेंसी को दिए गए अपने साक्षात्कार में स्वयं को हिंदू राष्ट्रवादी बताकर एक बार फिर एक और बहस को जन्म दिया है.उनकी व्याख्या यह है कि उनका जन्म एक हिंदू के तौर पर हुआ है और वे एक राष्ट्रवादी हैं इसलिए वे एक हिंदू राष्ट्रवादी हैं.इस व्याख्या के अनुसार फिर हमारे देश में निरीश्वरवादियों को छोडकर और कोई  मात्र राष्ट्रवादी नहीं है बल्कि वह हिंदू राष्ट्रवादी , मुस्लिम राष्ट्रवादी , क्रिश्चियन राष्ट्रवादी,सिख राष्ट्रवादी , बौद्ध राष्ट्रवादी, यहूदी राष्ट्रवादी अथवा पारसी राष्ट्रवादी है.राजनाथ सिंह जी ने इसका समर्थन भी कर दिया है.इस परिभाषा के अनुसार अशफाक उल्लाह खान और मौलाना अबुल कलाम आजाद मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं.हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी. जे. कलाम साहब भी मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं.परमवीरचक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद भी मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं.और तो और, बी.जे.पी. के नेतागण शाहनवाज हुसैन और नकवीजी भी मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं.ये बात दीगर है कि इनमें से किसी ने भी स्वयं  को इस रूप में परिभाषित नहीं किया है और यदि मेरी धारणा गलत नहीं है तो स्वयं को इस रूप में परिभाषित करना पसंद भी नहीं करेंगे.सवाल यह यह है कि यदि हम इस परिभाषा को स्वीकार कर लें तो यदि कुछ इतिहासकार मुस्लिम राष्ट्र की माँग करने के कारण जिन्ना को मुस्लिम राष्ट्रवादी(मुस्लिम राष्ट्र का पक्षधर) कहते हैं और मौलाना अबुल कलाम आजाद को इस माँग का विरोध करने और एकीकृत, अखंड भारत का पक्षधर होने के कारण राष्ट्रवादी मुस्लिम बताते हैं तो क्या वे गलत हैं? और, इतिहासकारों   की  इस परिभाषा के अनुसार यदि नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय हितों को अन्य हितों से ऊपर रखते हैं तो वे राष्ट्रवादी हिंदू हो सकते हैं ,हिंदू राष्ट्रवादी नहीं.स्वयं को हिंदू राष्ट्रवादी कहने पर वे जिन्ना के समानांतर दूसरे खाँचे में फिट हो जाते हैं.

          बेहतर हो कि हम हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,बौद्ध और पारसी होते हुए भी राष्ट्रवादी हों.यदि हम अपने राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि समझते और रखते  हैं और उनके लिए अपने व्यक्तिगत हितों को बलिदान कर सकते हैं तो हम राष्ट्रवादी हैं;राष्ट्रवाद या  राष्ट्रवादी के साथ कोई विशेषण लगाने की जरूरत नहीं है. अन्यथा ;इसी तर्ज पर कल को जब लोग काश्मीरी राष्ट्रवादी,सिख राष्ट्रवादी, नागा राष्ट्रवादी,मिजो राष्ट्रवादी और तमिल राष्ट्रवादी होने का दावा करने लगेंगे तो राजनाथ सिंह जी की प्रतिक्रिया क्या होगी?तब भी क्या वे राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी के साथ इन विशेषणों के संयुक्त होने को औचित्यपूर्ण बताएंगे?  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें