नीचे कुछ कल्पित स्थितियाँ और वार्तालाप दिए जा रहे हैं जो पूरी तरह काल्पनिक हैं और इनका उद्देश्य मात्र सहज हास्य है, सच्चाई से इनका कोई लेना-देना नहीं है. अगर इनमें से किसी काल्पनिक कथ्य या चरित्र की किसी तथ्य या व्यक्ति के साथ कोई साम्यता पाई जाती है तो वह महज इत्तफाक है जिसके लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है.
कुर्ता-पायजामा पहने एक नौजवान कुछ कागजात फाड रहा है और कह रहा है - बकवास है ,यह फाड कर कूडे की टोकरी में ही फेंकने के लायक है.तभी उसकी माँ नैपथ्य से आती है.
माँ- आखिर मेरा राजकुमार जवान हो ही गया. दुनिया वालों अब जरा सँभलकर रहना.पर बेटा यह सब करने के पहले एक बार मुझसे पूछ तो लिया होता.
बेटा- माँ तुमने वह फिल्म नहीं देखी-अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है!
माँ-तो क्या तू पिंटो है.
बेटा- हाँ माँ आजकल मुझे गुस्सा ज्यादा ही आने लगा है,तुम मुझे पिंटो ही कहा करो.
माँ-गुस्सा ज्यादा क्यों आने लगा है?
बेटा- यही अपनी सरकार की करतूतें देखकर.
माँ-पर सरकार तो अपनी है न बेटा.
बेटा-सो तो है माँ.
तभी मोबाइल की घंटी बजती है,माँ फोन उठाती हैं- "हलो!हलो!"
माँ-बेटा यू.एस.से फोन है, तनदोहनजी हैं, ये लो.
बेटा- हाँ -हाँ बोलिए तनदोहनजी!
तनदोहनजी- अरे राजकुमारजी,मैंने कहा था कि मैं आपके अधीनस्थ काम करने के लिए तैयार हूँ.पर आपने मेरी बात को ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया.अभी से मेरी छीछा-लेदर शुरु कर दी ,अरे छ: महीना और इंतजार कर लेते.मैं फिर से अपनी बात दोहराता हूँ- चुनावों के बाद आपका मातहत बनने को तैयार हूँ. ध्यान दीजिएगा-चुनावों के बाद.अभी तो बख्श दीजिए प्रभुवर!
बेटा- पर आप तो चुनावों तक वो नौबत ही नहीं बाकी रखेंगे कि आपके लिए मेरा अधीनस्थ बनने की नौबत आए. बेटा यह कहकर फोन काट देता है.
तभी फोन की घंटी दोबारा बजती है,माँ फिर से फोन उठाती है-"हलो!हलो!"
बेटा-क्या माँ फिर से तनदोहनजी! उनसे मेरा बात करने का मूड नहीं है.
माँ-नहीं,नहीं बेटा ये तो अपने रेडनेसजी हैं,लो बात करो.
बेटा-हाँ रेडनेसजी बोलिए!
रेडनेसजी- अरे का बोलें हम, तुमतो हमको बोलने लायक भी नहीं रखोगे. बचवा, तुम अभी भी लडका ही हो!तुमतो दुश्मनों के हाथों में खेलने लगते हो.अरे बचवा, पहले हमसे राजनीति का ककहरा तो पढ लो!हमरा तनदोहनवा इतनी मेहनत किए रहा , तुम्हारी अम्मौ तैयार होय गै रहीं पर तुमने मारा सब गुड-गोबर कर दिया. धुत!
बेटा-देखिए रेडनेसजी देश की जनता की आकांक्षा का सवाल है,नौजवानों की मनोभावनाओं का सवाल है.
रेडनेसजी- बहुत बडा-बडा बात करने लगे हो,कल हमारे सामने नेकर पहन कर घूमते थे.अरे तनदोहनवा दोस्ती निभाना जानता है,तुम्हारी अम्मा भी जानती हैं पर तुम निरे बुद्धू हो. चलौ रखो,अब हम तुमसे का बात करें.धुत!
बेटा फोन रखते हुए- लो माँ अब ये रेडनेसजी भी नाराज हो गए.
माँ- कोई बात नहीं बेटा, रेडनेसजी नाराज हो गए तो कोई बात नहीं, अपने पितीशजी तो हैं न.
तभी सफेद दाढी वाले सज्जन एक काली दाढी वाले के साथ आधी बांह का कुरता पहने आते दिखाई देते हैं.
माँ-ये चोखेर बाली कहाँ से आ रहा है.
बेटा- ये चोखेर बाली क्या होता है माँ?
माँ- बेटा ये बाँगला है. चोखेर बाली का मतलब हुआ-आँख की किरकिरी.
बेटा- माँ तुमने बाँगला कब सीखी?
माँ-अरे ये तो जब पश्चिम बंगाल वाली दीदी हम लोगों के साथ थीं तो उनसे मैंने थोडी -थोडी बाँगला सीख ली थी.
बेटा- और तुमने हिंदी किससे सीखी माँ?
माँ हँसते हुए-शैतान है तू,अरे वो तो तेरे डैडी से सीखी.
बेटा भी हँसता है-डैडी से नहीं वो तो तुमने दादी से सीखी है.
तब तक सफेद दाढी और आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन सामने आ जाते हैं.
माँ फिर धीरे से बोलती है 'चोखेर बाली' और अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लेती है.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन राजकुमार बेटे के कंधे पर हाथ मारते हैं.
राजकुमार अपना कंधा दूसरे हाथ से पकडकर -ऊई!अंकल लोहा बटोरते-बटोरते लगता है आपके हाथ भी लोहे के हो गए हैं.
तब तक माँ मुडती है-हाय मेरे लाल को क्या कर दिया.
बेटा-कोई बात नहीं माँ,सब ठीक है; बस जरा यूँ ही.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- शाबास राजकुमार!गजब कर दिया! जो बात मुझे कहनी चाहिए थी तुमने कह दी. मुझे तो वह गाना याद आ गया- 'गैरों के करम अपनों के सितम.'
तभी सफेद दाढी के साथ आया काली दाढी वाला व्यक्ति कान में धीरे से फुसफुसाता है- सर ये याद रखें कि आप दुश्मन से बात कर रहे हैं,दोस्त से नहीं.नाहक तारीफ न करें.
तभी मोबाइल की घंटी फिर बजती है.माँ फोन उठाती है -" हलो-हलो" फिर थोडी देर बाद बोलती है-"अरे तनदोहनजी छोडिए भी ,बच्चे की बातों का बुरा नहीं मानते."
बेटा-क्या हुआ माँ?
माँ- अरे तनदोहनजी हैं ,गा रहे हैं-"इक दोस्त ने दुश्मन का ये काम किया है.जिंदगी भर का गम हमें इनाम दिया है."
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- मैनिया जी आप ये क्या कह रही हैं. आप नहीं जानतीं आपके बेटे ने देश का कितना उपकार किया है.
काली दाढी वाला व्यक्ति फुसफुसाकर- सर मैंने आपसे अभी क्या कहा था?
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन धीरे से कहते हैं - मैंने तुम्हे जहाँ भेजा है वहाँ जाकर काम करो,यहाँ मेरे काम में टाँग मत अडाओ.
माँ-देख मौत के सौदागर ,मैं तुझसे बात नहीं करूँगी भले ही तू मेरे मुँह पर मेरे बेटे की कितनी भी तारीफ करे.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- देखिए मैनियाजी मैं तो यह कहने के लिए आया था कि आप भी अपने बेटे को पी एम होपफुल घोषित कर दीजिए,फिर देखिए जब दो पी एम होपफुल आमने सामने होंगे तो कुश्ती कैसी छूटती है.
माँ-मैं सब समझ गई तू मेरे बेटे को चक्रव्यूह में फंसाने आया है.
राजकुमार-माँ तुमने क्या मुझे बच्चा समझ रखा है.मेरी उम्र में डैडी पूरे देश का जिम्मा सँभालते थे.माँ अंकल की बात पर ध्यान दो.
माँ, चिंतित स्वर में राजकुमार के सर पर अपना आँचल फैलाकर - बेटा मेरे लिए तू बच्चा है और बच्चा ही रहेगा,मैं अपने बेटे को किसी की नजर नहीं लगने दूँगी
माँ मोबाइल उठाकर फोन लगाती है-"तनदोहनजी,तनदोहनजी,प्लीज जल्दी भारत लौट आइए."
कुछ दूर दो व्यक्ति अखबार पढ रहे हैं .एक किसान है जो हिंदी का अखबार पढ रहा है ,एक सूटेड-बूटेड व्यक्ति अंग्रेजी का अखबार पढ रहा है.
किसान- भैया ने खूब खरी-खरी बात कह दी है.
सूटेड-बूटेड व्यक्ति- Its a damage control exercise.
कुर्ता-पायजामा पहने एक नौजवान कुछ कागजात फाड रहा है और कह रहा है - बकवास है ,यह फाड कर कूडे की टोकरी में ही फेंकने के लायक है.तभी उसकी माँ नैपथ्य से आती है.
माँ- आखिर मेरा राजकुमार जवान हो ही गया. दुनिया वालों अब जरा सँभलकर रहना.पर बेटा यह सब करने के पहले एक बार मुझसे पूछ तो लिया होता.
बेटा- माँ तुमने वह फिल्म नहीं देखी-अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है!
माँ-तो क्या तू पिंटो है.
बेटा- हाँ माँ आजकल मुझे गुस्सा ज्यादा ही आने लगा है,तुम मुझे पिंटो ही कहा करो.
माँ-गुस्सा ज्यादा क्यों आने लगा है?
बेटा- यही अपनी सरकार की करतूतें देखकर.
माँ-पर सरकार तो अपनी है न बेटा.
बेटा-सो तो है माँ.
तभी मोबाइल की घंटी बजती है,माँ फोन उठाती हैं- "हलो!हलो!"
माँ-बेटा यू.एस.से फोन है, तनदोहनजी हैं, ये लो.
बेटा- हाँ -हाँ बोलिए तनदोहनजी!
तनदोहनजी- अरे राजकुमारजी,मैंने कहा था कि मैं आपके अधीनस्थ काम करने के लिए तैयार हूँ.पर आपने मेरी बात को ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया.अभी से मेरी छीछा-लेदर शुरु कर दी ,अरे छ: महीना और इंतजार कर लेते.मैं फिर से अपनी बात दोहराता हूँ- चुनावों के बाद आपका मातहत बनने को तैयार हूँ. ध्यान दीजिएगा-चुनावों के बाद.अभी तो बख्श दीजिए प्रभुवर!
बेटा- पर आप तो चुनावों तक वो नौबत ही नहीं बाकी रखेंगे कि आपके लिए मेरा अधीनस्थ बनने की नौबत आए. बेटा यह कहकर फोन काट देता है.
तभी फोन की घंटी दोबारा बजती है,माँ फिर से फोन उठाती है-"हलो!हलो!"
बेटा-क्या माँ फिर से तनदोहनजी! उनसे मेरा बात करने का मूड नहीं है.
माँ-नहीं,नहीं बेटा ये तो अपने रेडनेसजी हैं,लो बात करो.
बेटा-हाँ रेडनेसजी बोलिए!
रेडनेसजी- अरे का बोलें हम, तुमतो हमको बोलने लायक भी नहीं रखोगे. बचवा, तुम अभी भी लडका ही हो!तुमतो दुश्मनों के हाथों में खेलने लगते हो.अरे बचवा, पहले हमसे राजनीति का ककहरा तो पढ लो!हमरा तनदोहनवा इतनी मेहनत किए रहा , तुम्हारी अम्मौ तैयार होय गै रहीं पर तुमने मारा सब गुड-गोबर कर दिया. धुत!
बेटा-देखिए रेडनेसजी देश की जनता की आकांक्षा का सवाल है,नौजवानों की मनोभावनाओं का सवाल है.
रेडनेसजी- बहुत बडा-बडा बात करने लगे हो,कल हमारे सामने नेकर पहन कर घूमते थे.अरे तनदोहनवा दोस्ती निभाना जानता है,तुम्हारी अम्मा भी जानती हैं पर तुम निरे बुद्धू हो. चलौ रखो,अब हम तुमसे का बात करें.धुत!
बेटा फोन रखते हुए- लो माँ अब ये रेडनेसजी भी नाराज हो गए.
माँ- कोई बात नहीं बेटा, रेडनेसजी नाराज हो गए तो कोई बात नहीं, अपने पितीशजी तो हैं न.
तभी सफेद दाढी वाले सज्जन एक काली दाढी वाले के साथ आधी बांह का कुरता पहने आते दिखाई देते हैं.
माँ-ये चोखेर बाली कहाँ से आ रहा है.
बेटा- ये चोखेर बाली क्या होता है माँ?
माँ- बेटा ये बाँगला है. चोखेर बाली का मतलब हुआ-आँख की किरकिरी.
बेटा- माँ तुमने बाँगला कब सीखी?
माँ-अरे ये तो जब पश्चिम बंगाल वाली दीदी हम लोगों के साथ थीं तो उनसे मैंने थोडी -थोडी बाँगला सीख ली थी.
बेटा- और तुमने हिंदी किससे सीखी माँ?
माँ हँसते हुए-शैतान है तू,अरे वो तो तेरे डैडी से सीखी.
बेटा भी हँसता है-डैडी से नहीं वो तो तुमने दादी से सीखी है.
तब तक सफेद दाढी और आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन सामने आ जाते हैं.
माँ फिर धीरे से बोलती है 'चोखेर बाली' और अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लेती है.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन राजकुमार बेटे के कंधे पर हाथ मारते हैं.
राजकुमार अपना कंधा दूसरे हाथ से पकडकर -ऊई!अंकल लोहा बटोरते-बटोरते लगता है आपके हाथ भी लोहे के हो गए हैं.
तब तक माँ मुडती है-हाय मेरे लाल को क्या कर दिया.
बेटा-कोई बात नहीं माँ,सब ठीक है; बस जरा यूँ ही.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- शाबास राजकुमार!गजब कर दिया! जो बात मुझे कहनी चाहिए थी तुमने कह दी. मुझे तो वह गाना याद आ गया- 'गैरों के करम अपनों के सितम.'
तभी सफेद दाढी के साथ आया काली दाढी वाला व्यक्ति कान में धीरे से फुसफुसाता है- सर ये याद रखें कि आप दुश्मन से बात कर रहे हैं,दोस्त से नहीं.नाहक तारीफ न करें.
तभी मोबाइल की घंटी फिर बजती है.माँ फोन उठाती है -" हलो-हलो" फिर थोडी देर बाद बोलती है-"अरे तनदोहनजी छोडिए भी ,बच्चे की बातों का बुरा नहीं मानते."
बेटा-क्या हुआ माँ?
माँ- अरे तनदोहनजी हैं ,गा रहे हैं-"इक दोस्त ने दुश्मन का ये काम किया है.जिंदगी भर का गम हमें इनाम दिया है."
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- मैनिया जी आप ये क्या कह रही हैं. आप नहीं जानतीं आपके बेटे ने देश का कितना उपकार किया है.
काली दाढी वाला व्यक्ति फुसफुसाकर- सर मैंने आपसे अभी क्या कहा था?
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन धीरे से कहते हैं - मैंने तुम्हे जहाँ भेजा है वहाँ जाकर काम करो,यहाँ मेरे काम में टाँग मत अडाओ.
माँ-देख मौत के सौदागर ,मैं तुझसे बात नहीं करूँगी भले ही तू मेरे मुँह पर मेरे बेटे की कितनी भी तारीफ करे.
आधी बाँह के कुरते वाले सज्जन- देखिए मैनियाजी मैं तो यह कहने के लिए आया था कि आप भी अपने बेटे को पी एम होपफुल घोषित कर दीजिए,फिर देखिए जब दो पी एम होपफुल आमने सामने होंगे तो कुश्ती कैसी छूटती है.
माँ-मैं सब समझ गई तू मेरे बेटे को चक्रव्यूह में फंसाने आया है.
राजकुमार-माँ तुमने क्या मुझे बच्चा समझ रखा है.मेरी उम्र में डैडी पूरे देश का जिम्मा सँभालते थे.माँ अंकल की बात पर ध्यान दो.
माँ, चिंतित स्वर में राजकुमार के सर पर अपना आँचल फैलाकर - बेटा मेरे लिए तू बच्चा है और बच्चा ही रहेगा,मैं अपने बेटे को किसी की नजर नहीं लगने दूँगी
माँ मोबाइल उठाकर फोन लगाती है-"तनदोहनजी,तनदोहनजी,प्लीज जल्दी भारत लौट आइए."
कुछ दूर दो व्यक्ति अखबार पढ रहे हैं .एक किसान है जो हिंदी का अखबार पढ रहा है ,एक सूटेड-बूटेड व्यक्ति अंग्रेजी का अखबार पढ रहा है.
किसान- भैया ने खूब खरी-खरी बात कह दी है.
सूटेड-बूटेड व्यक्ति- Its a damage control exercise.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें