लोकसभा के लिए होने वाले आमचुनाव का सातवाँ चरण आगामी 30 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा. जैसे - जैसे चुनाव का अंतिम चरण और नजदीक आ रहा है जुबानी तलवारें खींची जा रही हैं ,जोर-शोर से हमले किए जा रहे हैं,मर्यादाएं तोडते हुए प्रहार किए जा रहे हैं और फिर उतना ही तीखा जवाबी हमला किया जा रहा है. एफ आई आर लिखी जा रही हैं,लोग जमानत के लिए घूम रहे हैं ,चुनाव आयोग चेतावनियाँ दे रहा है और पाबंदियाँ लगा रहा है पर हमारे नेतागण "युद्ध और प्रेम में सब कुछ जायज है" इसका अनुसरण पूरी तत्परता से कर रहे हैं. ऐसे में कुछ हँस लेने के उद्देश्य से यहाँ हमारे नेताओं के कुछ वक्तव्य और उन पर टिप्पणियाँ प्रस्तुत हैं-
- विकास का गुजरात माडल टाफी माडल है.-राहुल गाँधी -- पर लोग इस टाफी को चूसने पर आमादा हैं राहुलजी.
- मैं फकीर हूँ.मेरे पास कोई पूँजी नहीं है. मैं आपके पैसे से चुनाव लडूँगा.-अरविंद केजरीवाल - अगर 2.07 करोड की कुल घोषित परिसंपत्तियों के साथ आप फकीर हैं तो इस देश के तमाम लोग आप जैसा फकीर जरूर बनना चाहेंगे अरविंदजी.
- देश में कोई मोदी लहर नहीं है- मनमोहन सिंह -पर लोगों के अनुसार मँहगाई और भ्रष्टाचार विरोधी लहर जरूर है प्रधानमंत्रीजी.
- जो मोदी के विरोधी हैं उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए-गिरिराज सिंह -गिरिराजजी आपका वक्तव्य पढकर मुझे एक किताब का शीर्षक याद आ गया है-"कितने पाकिस्तान और". आखिर कब तक आप लोग हिंदुस्तान को छोडकर पाकिस्तान की बात करते रहेंगे.
- "सब बडे हो गए हैं.उन पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है.इस प्रकरण में मैं बहुत दु:खी हूँ"- भाई दलजीत सिंह के भा ज पा की सदस्यता ग्रहण करने पर मनमोहन सिंह. -दु:खी न होइये प्रधानमंत्रीजी! प्रियंका के अनुसार उनका भाई वरूण भटक गया है तो यदि आपका भाई भटक गया तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं.इस चुनावी मौसम में तमाम भाइयों के भटक जाने की संभावना है, इसलिए सबको अपने-अपने भाई पकड कर रखने चाहिए. वैसे मैं जानता हूँ कि आप मन ही मन मना रहे हैं कि ये नरेंद्र भाई कहीं भटक जाए.
- मून देखते हुए हनी खाने की बात- योगगुरू रामदेव -बाबाजी आप ब्रह्मचारी आदमी,कहाँ ये गृहस्थ जीवन के आरंभिक कार्यक्रम की बात ले बैठे.जिन बातों का तजुर्बा आदमी को न हो वह नहीं करना चाहिए. वैसे अगर भूखे आदमी को रोटी मिल जाए तो वही उसे मून लगती है और खाने में हनी का मजा आता है.
- जो मोदी को वोट देंगे उन्हें समंदर में डूब जाना चाहिए-फार्रूक अब्दुल्ला -फार्रूक साहब बकौल किसी शायर के : 'यह चुनाव नहीं आसां बस इतना ही समझ लीजे कि एक आग का दरिया है और डूब के जाना है.' सो आपकी सलाह नेक है पर यह सिर्फ मोदी ही नहीं किसी को भी वोट देने वाले के ऊपर लागू होती है यहाँ तक कि आपको वोट देने वाले के ऊपर भी, और काश्मीर की जनता इस बात को अच्छी तरह जानती है. अब चुनाव आयोग ने डूबने के विकल्प के तौर पर नोटा का प्रावधान कर दिया है.
- काश्मीर को डुबाने वाले दूसरों को डूबने को न कहें-नरेंद्र मोदी -मोदीजी आपका वक्तव्य पढकर एक और शेर याद आ गया है (अरे वो नहीं जो आपने बतौर गिफ्ट अखिलेशजी को दिए हैं, बल्कि मुझे गालिब का एक शेर याद आ गया है )- 'डुबोया मेरे होने से,जो मैं न होता तो क्या होता.' हम डूबने-डुबाने की बात क्यों करें,हम क्यों न जीवन की बात करें,इस देश को एक नई ऊँचाई पर ले जाने की बात करें.