दुष्यंत कुमार की पंक्तियों- 'वो सलीब के करीब आए तो हमको,कायदे कानून समझाने लगे हैं ' से प्रेरित होकर-
-गजल-
वो मिला यूँ मुझसे मेरे चले जाने के बाद
नौहाख्वानी की मेरे चले जाने के बाद
किसी की जाँआजारी क्या याद करते
उस जालिम से एक बार मिल लेने के बाद
गूँगे-बहरों के शहर में कोई क्यूँ बोले
किसी गरीब की सदा सुनने के बाद
मेरी आँखों की बीनाई ही चली गई
कुछ सूरदासों से ठग लिए जाने के बाद
हाकिम भी देता सच्चा फैसला कैसे
मुकदमे में गवाहों के मुकर जाने के बाद
सियासतदानों ने लूट लिया मुल्क को
ईमानवालों के खामोश हो जाने के बाद
आखिर उसने सलीब पे मुझे चढ़ा दिया
'संजय' कायदा- कानून समझाने के बाद
- संजय त्रिपाठी
-गजल-
वो मिला यूँ मुझसे मेरे चले जाने के बाद
नौहाख्वानी की मेरे चले जाने के बाद
किसी की जाँआजारी क्या याद करते
उस जालिम से एक बार मिल लेने के बाद
गूँगे-बहरों के शहर में कोई क्यूँ बोले
किसी गरीब की सदा सुनने के बाद
मेरी आँखों की बीनाई ही चली गई
कुछ सूरदासों से ठग लिए जाने के बाद
हाकिम भी देता सच्चा फैसला कैसे
मुकदमे में गवाहों के मुकर जाने के बाद
सियासतदानों ने लूट लिया मुल्क को
ईमानवालों के खामोश हो जाने के बाद
आखिर उसने सलीब पे मुझे चढ़ा दिया
'संजय' कायदा- कानून समझाने के बाद
- संजय त्रिपाठी
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