एक कसाई की दूकान ' ताजा मटन शॉप' और उसके बगल में एक मुर्गे तथा चिकन वाले की दूकान 'दि बेस्ट चिकन मीट शॉप ' है . कुछ दूरी पर एक देशी शराब का ठेका 'रस अमृत' है तथा उसके सामने ही' विक्टोरिया इंग्लिश वाइन शॉप' है. पास में ही 'दि डिवाइन ईटरी' नाम का रेस्टोरेंट है. हर जगह भारी भीड उमडती नजर आ रही है. कसाई की दूकान के भीतर दो बकरे मार कर टांगे गए हैं. चार बकरे दूकान के बाहर बँधे हुए हैं. मुर्गे तथा चिकन वाले की दूकान के बाहर दो बडे-बडे दडबे रखे हुए हैं जिसमें से एक में मुर्गे बंधे हुए टुकुर- टुकुर ताक रहे हैं. दूसरे दडबे में चूजे जैसे दीन-दुनिया से बेखबर एक दूसरे के साथ खेल रहे हैं तथा महीन-महीन सा कोलाहल कर रहे हैं. तभी बाहर बँधा चितकबरा बकरा कुछ बुदबुदाता है. उससे कुछ दूरी पर स्थित मुर्गे के दडबे में से एक लाल मुर्गा उसे गौर से देखता है.
लाल मुर्गा अपने बगल के काले मुर्गे से पूछता है -"ये चितकबरे चाचा क्या कह रहे हैं?"
काला मुर्गा- "लाली अभी तो तुम्हारी उमर इतनी हुई नहीं. क्या कान कुछ कमजोर हो गए हैं? मैं उनकी आवाज तो सुन पा रहा हूँ.पर मैं बकरों की भाषा समझता नहीं . तुम ऐसा करो सफेदू चाचा(सफेद बकरा जो चितकबरे के बगल में खडा है) से पूछो , वे तो हमारे साथ ही रह रह रहे थे. वे मुर्गों की भाषा समझते हैं."
लाल मुर्गा आवाज लगाता है- "सफेदू चाचा! सफेदू चाचा!"
सफेदू लाली की तरफ देखता है और कहता है-" यहाँ जान पर बनी हुई है. तू क्यों चिल्ला रहा है?"
लाली-" वो तो जो यहाँ आ गया उस पर बनी ही रहती है. मैं तो ये पूछ रहा था कि ये चितकबरे चाचा क्या कह रहे हैं?
सफेदू-" ये कह रहे हैं- भीड देख रहे हो, आज हममें से कोई लौट कर घर नहीं जाएगा."
लाली-" हाँ चाचा भीड तो बहुत है और ये भीड लगता है कि हम पर शामत ढाने वाली है. पर चाचा आज न तो हिंदुओं का कोई त्योहार है,न ही मुसलमानों का और न ही ईसाइयों का. पर इस भीड में तो देखो जय भी हैं,जगजीत भी हैं,रहमत भी हैं,डेविड भी हैं . आखिर ये कौन सा त्योहार है चाचा."
सफेदू- " अरे ये इंसान कंबख्त जो इंसान कहलाने लायक नहीं हैं, नया साल मनाने की तैयारी में हैं"
चितकबरा-" और नए साल को मनाने का सबसे बेहतर तरीका ये यही समझते हैं कि हमको जिबह कर दें और पका कर खा जाएं. साथ-साथ "रस अमृत" और " विक्टोरिया" में मिलने वाले द्र्व्य का कम से कम इतना पान कर लें कि उल्टी आने लगे या फिर जमीन पर लोट जाएं."
कालू (काला मुर्गा)- " अरे चाचा !वो देखो मेरे बगल वाले घर में रहने वाला रमुआ रिक्शेवाला रस-अमृत पर लाइन में लगा हुआ है. जब ये घर पहुँचता है इसकी बीबी रोज झगडा करती है क्योंकि कभी घर पर खाने के लिए कुछ नहीं रहता है और कभी फीस न दे पाने की वजह से
बच्चों का स्कूल से नाम कट गया रहता है और ये हमेशा नशे की हालत में ही घर
पहुँचता है."
चितकबरा-"जानता हूँ ,सब जानता हूँ."
सफेदू-" और वो 'विक्टोरिया' पर देखो, हमारे सामने वाली ऊँची बिल्डिंग में जो बडे साहब रहते हैं;बोतलें बैग में डाल रहे हैं.आज ये क्लब में बैठकर इतनी पीने वाले हैं कि बाद में चलने-फिरने लायक नहीं रह
जाएंगे और इनका ड्राइवर इन्हें उठाकर गाडी में डालेगा और घर पहुँचाएगा.जब ये घर पर कालबेल
दबाएंगे तो मेमसाहब नींद से उठकर इन्हें गालियाँ देते हुए घर का दरवाजा खोलेंगी."
लाली-" और चाचा !जरा 'डिवाइन ईटरी' की तरफ भीड देखो. अंदर टेबल नहीं मिल पाने की वजह से लोग
बाहर इंतजार कर रहे हैं."
चितकबरा-" और उनको भी देखो जो अपनी तोंद पर हाथ फिराते हुए बाहर निकल रहे हैं. हमारे भाई- बहनों को निगल कर ये तृप्ति अनुभव कर रहे हैं. "
सफेदू-"भगवान हमारे भाई-बहनों की आत्मा को शांति प्रदान करें."
तभी अंदर से कसाई निकल कर आता है और चितकबरे का कान पकड कर उसे अंदर ले जाने लगता है.
चितकबरा-" भाई-बहनों, खुदा हाफिज."
सफेदू-"खुदा हाफिज! हैप्पी न्यू इयर चितकबरे!"
चितकबरा- "हैप्पी न्यू इयर, सफेदू ! अब तो खुदा का प्यारा बनकर ही अपना हैप्पी न्यू इयर होगा."
तभी "दि बेस्ट चिकन मीट शॉप " का वधिक बाहर आकर लाली को पकड कर ले जाने लगता है.लाली कुकडूँ-कूँ-कुकडूँ-कूँ चिल्लाने लगता है.
कालू-" चिंता मत कर.मैं तेरे लिए सुप्रीम कोर्ट में पी आई एल दाखिल करवाऊँगा. पर वहाँ तो केवल इंसानों की बात सुनी जाती है.मैं नए मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास जाऊँगा. वो शाकाहारी है,शायद हमारे लिए कुछ करे."
लाली-"पर तू भी बचेगा तब तो.अच्छा चल, इंसानों की तरह हैप्पी न्यू इयर करते हैं-हैप्पी न्यू इयर कालू!"
कालू- "भगवान तेरी आत्मा को शांति प्रदान करे."
लाली (रोते हुए)- "और तेरी भी आत्मा को इंसानों की जुबान और पेट के लिए कुर्बान होने के बाद शांति मिले.
हैप्पी न्यू इयर!."
कालू (स्वगत)- शायद दो चार दिन और जिंदा रहते पर इस हैप्पी न्यू इयर ने जिंदगी और मौत का फासला
हमारे लिए मिटा दिया.मैं नहीं करूँगा हैप्पी न्यू इयर! मैं नहीं करूँगा हैप्पी न्यू इयर!
वधिक लौटकर आता है और कालू को भी पकड कर ले जाता है.कालू जोरों से चिल्लाता है-"कुकडूँ-कूँ-कुकडूँ-कूँ." !
लाल मुर्गा अपने बगल के काले मुर्गे से पूछता है -"ये चितकबरे चाचा क्या कह रहे हैं?"
काला मुर्गा- "लाली अभी तो तुम्हारी उमर इतनी हुई नहीं. क्या कान कुछ कमजोर हो गए हैं? मैं उनकी आवाज तो सुन पा रहा हूँ.पर मैं बकरों की भाषा समझता नहीं . तुम ऐसा करो सफेदू चाचा(सफेद बकरा जो चितकबरे के बगल में खडा है) से पूछो , वे तो हमारे साथ ही रह रह रहे थे. वे मुर्गों की भाषा समझते हैं."
लाल मुर्गा आवाज लगाता है- "सफेदू चाचा! सफेदू चाचा!"
सफेदू लाली की तरफ देखता है और कहता है-" यहाँ जान पर बनी हुई है. तू क्यों चिल्ला रहा है?"
लाली-" वो तो जो यहाँ आ गया उस पर बनी ही रहती है. मैं तो ये पूछ रहा था कि ये चितकबरे चाचा क्या कह रहे हैं?
सफेदू-" ये कह रहे हैं- भीड देख रहे हो, आज हममें से कोई लौट कर घर नहीं जाएगा."
लाली-" हाँ चाचा भीड तो बहुत है और ये भीड लगता है कि हम पर शामत ढाने वाली है. पर चाचा आज न तो हिंदुओं का कोई त्योहार है,न ही मुसलमानों का और न ही ईसाइयों का. पर इस भीड में तो देखो जय भी हैं,जगजीत भी हैं,रहमत भी हैं,डेविड भी हैं . आखिर ये कौन सा त्योहार है चाचा."
सफेदू- " अरे ये इंसान कंबख्त जो इंसान कहलाने लायक नहीं हैं, नया साल मनाने की तैयारी में हैं"
चितकबरा-" और नए साल को मनाने का सबसे बेहतर तरीका ये यही समझते हैं कि हमको जिबह कर दें और पका कर खा जाएं. साथ-साथ "रस अमृत" और " विक्टोरिया" में मिलने वाले द्र्व्य का कम से कम इतना पान कर लें कि उल्टी आने लगे या फिर जमीन पर लोट जाएं."
कालू (काला मुर्गा)- " अरे चाचा !वो देखो मेरे बगल वाले घर में रहने वाला रमुआ रिक्शेवाला रस-अमृत पर लाइन में लगा हुआ है. जब ये घर पहुँचता है इसकी बीबी रोज झगडा करती है क्योंकि कभी घर पर खाने के लिए कुछ नहीं रहता है और कभी फीस न दे पाने की वजह से
बच्चों का स्कूल से नाम कट गया रहता है और ये हमेशा नशे की हालत में ही घर
पहुँचता है."
चितकबरा-"जानता हूँ ,सब जानता हूँ."
सफेदू-" और वो 'विक्टोरिया' पर देखो, हमारे सामने वाली ऊँची बिल्डिंग में जो बडे साहब रहते हैं;बोतलें बैग में डाल रहे हैं.आज ये क्लब में बैठकर इतनी पीने वाले हैं कि बाद में चलने-फिरने लायक नहीं रह
जाएंगे और इनका ड्राइवर इन्हें उठाकर गाडी में डालेगा और घर पहुँचाएगा.जब ये घर पर कालबेल
दबाएंगे तो मेमसाहब नींद से उठकर इन्हें गालियाँ देते हुए घर का दरवाजा खोलेंगी."
लाली-" और चाचा !जरा 'डिवाइन ईटरी' की तरफ भीड देखो. अंदर टेबल नहीं मिल पाने की वजह से लोग
बाहर इंतजार कर रहे हैं."
चितकबरा-" और उनको भी देखो जो अपनी तोंद पर हाथ फिराते हुए बाहर निकल रहे हैं. हमारे भाई- बहनों को निगल कर ये तृप्ति अनुभव कर रहे हैं. "
सफेदू-"भगवान हमारे भाई-बहनों की आत्मा को शांति प्रदान करें."
तभी अंदर से कसाई निकल कर आता है और चितकबरे का कान पकड कर उसे अंदर ले जाने लगता है.
चितकबरा-" भाई-बहनों, खुदा हाफिज."
सफेदू-"खुदा हाफिज! हैप्पी न्यू इयर चितकबरे!"
चितकबरा- "हैप्पी न्यू इयर, सफेदू ! अब तो खुदा का प्यारा बनकर ही अपना हैप्पी न्यू इयर होगा."
तभी "दि बेस्ट चिकन मीट शॉप " का वधिक बाहर आकर लाली को पकड कर ले जाने लगता है.लाली कुकडूँ-कूँ-कुकडूँ-कूँ चिल्लाने लगता है.
कालू-" चिंता मत कर.मैं तेरे लिए सुप्रीम कोर्ट में पी आई एल दाखिल करवाऊँगा. पर वहाँ तो केवल इंसानों की बात सुनी जाती है.मैं नए मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास जाऊँगा. वो शाकाहारी है,शायद हमारे लिए कुछ करे."
लाली-"पर तू भी बचेगा तब तो.अच्छा चल, इंसानों की तरह हैप्पी न्यू इयर करते हैं-हैप्पी न्यू इयर कालू!"
कालू- "भगवान तेरी आत्मा को शांति प्रदान करे."
लाली (रोते हुए)- "और तेरी भी आत्मा को इंसानों की जुबान और पेट के लिए कुर्बान होने के बाद शांति मिले.
हैप्पी न्यू इयर!."
कालू (स्वगत)- शायद दो चार दिन और जिंदा रहते पर इस हैप्पी न्यू इयर ने जिंदगी और मौत का फासला
हमारे लिए मिटा दिया.मैं नहीं करूँगा हैप्पी न्यू इयर! मैं नहीं करूँगा हैप्पी न्यू इयर!
वधिक लौटकर आता है और कालू को भी पकड कर ले जाता है.कालू जोरों से चिल्लाता है-"कुकडूँ-कूँ-कुकडूँ-कूँ." !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें