बाबा शोभन सरकार को सपने में सोने के भंडार दिखाई दे रहे हैं. जो चमत्कार न दिखाए वह बाबा कैसा. चमत्कार की आशा ने बाबा शोभन सरकार को अखिल भारतीय व्यक्तित्व वाला तो बना ही दिया है. सोना मिलना न मिलना तो दूर की बात है. सोना न भी मिले तो भी अब दूर-दूर से से लोग बाबा के पास आएंगे. बहुतों को बाबा के दर्शनों से ही पुण्यलाभ की आशा होगी तो बहुतों को बाबा के चमत्कार से अपनी समस्याएं उडनछू हो जाने की उम्मीद बँधेगी . डौंडियाखेडा में तो आर्केयोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया खुदाई में लगा ही हुआ है, कुछ लोगों ने बाबा के सपने के आधार पर ढाई हजार टन सोने की आशा में आदमपुर में गंगाघाट पर स्वत: ही खुदाई शुरू कर दी है. बाबा के अनुयाइयों का कहना है कि बाबा तो खजाने की चर्चा नौ वर्षों से करते रहे हैं पर देश के ऊपर आर्थिक संकट देखकर उन्होंने उसे उपलब्ध कराने की दिशा में अब कदम उठाया है. प्रश्न उठता है कि बाबा ने यह जानकारी देने के लिए इस संकट तक प्रतीक्षा क्यों की जब कि वे पहले ही हमारे देश को दुनिया की सुपरपावर बनाने की दिशा में सहायता कर सकते थे.
मैं अपने बेटे को हमेशा यही बताता हूँ कि बेटा अपनी मेहनत पर भरोसा करना और कभी भी जिंदगी में चमत्कार की या जुगाड या शॉर्टकट की आशा मत करना. कुछ लोगों को जरूर जीवन में शॉर्टकट मिल जाते हैं पर अधिकांश लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है. मैंने चमत्कारों के विषय में सुना भर है पर मुझे जीवन में प्रत्यक्ष कभी जीवन में चमत्कार के दर्शन नहीं हुए. जीवन में जो कुछ भी हासिल हुआ वह सिर्फ मेहनत के बल पर ही मिल सका है. पर एक ऐसे प्रदेश में जहाँ लोगों के पास अवसरों की कमी है भले ही उसका कारण अदूरदर्शी राजनीतिज्ञ और जाति पर आधारित राजनीति तथा सर्वव्यापी भ्रष्टाचार हो ,जनता में चमत्कार के सहारे समस्याओं का समाधान हो जाने की आशा जगना स्वाभाविक है क्योंकि जुगाड,शार्टकट और चमत्कार छोडकर अब और किसी वस्तु का आसरा उसके पास नहीं है.
सोना मिलने संबंधी सपने के सच हो जाने के चमत्कार की आशा ने तमाम लोगों के जीवन में जरूर बहार ला दी है. आर्केयोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया जो सदैव धन और स्टाफ की कमी का रोना रोता रहता है और देश की तमाम धरोहरों पर एक दो बोर्ड लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है भले ही वह धराशाई होने की दिशा में आगे बढ रही हो या फिर चोर और तस्कर वहाँ से अमूल्य स्थापत्य और मूर्तिकला की वस्तुएं चुराकर बेच रहे हों ;इस खुदाई के चलते लाइमलाइट में है और फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि उसके पास धन या स्टाफ की कोई कमी है. मीडिया खुश है कि उसकी टी आर पी बढ रही है. केंद्र और प्रदेश दोनों ही स्थानों पर सत्तापक्ष खुश है कि लोग देश और जनता की सारी समस्याएं भूल कर खजाने की चर्चा में लगे हुए हैं. प्रदेश की सरकार के लिए यह बडे राहत की बात है क्योंकि मुजफ्फरनगर के दंगों की याद को भुलाने के लिए यह खुदाई मुफीद दवा साबित हो रही है. देश की सरकार के एक मंत्री ने तो यहाँ तक आशा व्यक्त कर दी है कि सोना मिलने पर देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, मुख्य विपक्षी दल के सारे अभियान की हवा निकल जाएगी और यही सरकार फिर से चुनाव जीत कर दोबारा सत्ता में वापस आ जाएगी. स्थानीय जनता खुश है क्योंकि उसे लग रहा है कि इस सोने का कुछ न कुछ असर उसके ऊपर जरूर पडेगा तथा और कुछ नहीं तो उसके क्षेत्र का ही कुछ विकास हो जाएगा. राजा रामबख्श सिंह के वंशज खुश हैं कि उन्हें भी सोने में उनका जायज हक मिलेगा. ऐसे में बरबस ही गालिब का यह शेर याद आ जाता है-"दिल बहलाने को गालिब खयाल अच्छा है."
बहुत साल पहले बहू बेगम के खजाने की खोज में पुरातत्व विभाग ने फैजाबाद में आई.टी.आई. के पीछे जंगे शहीद की मजार के आस-पास के क्षेत्र की खुदाई करवाई थी जो तीन-चार महीनों तक चलती रही .उन दिनों वहाँ दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता था. रोज अखबारों में लेख निकलते रहते थे.फिर एक दिन अचानक पुरातत्व विभाग के लोग वहां से नदारद हो गए. सुनाई दिया कि सरकार ने आगे खुदाई जारी करने के लिए ग्रांट नहीं दी. स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि पुरातत्व विभाग के लोग फिर लौट कर वापस आएंगे और बहू बेगम का खजाना खोज निकालेंगे पर वे वापस लौट कर नहीं आए. जनता के लिए कुछ महीनों तक खजाने की चर्चा करना अच्छा शगल रहा. आम जनता के एक वर्ग का तो यहाँ तक मानना था कि पुरातत्व विभाग के लोगों को खजाना मिल गया जिसे लेकर वे चुपचाप चले गए.पर धीरे-धीरे खजाने की चर्चा समाप्त हो गई और आज कोई बहू बेगम के खजाने का नाम भी नहीं लेता.
मैं तो इसी संशय में हूँ कि सोने के भंडार के खोज संबंधी इस संपूर्ण कार्यकलाप की जो सरकारी तत्वाधान में हो रहा है,अपने बेटे के समक्ष कैसे विवेचना करूँ और खुदा न खास्ता यदि कहीं सोना मिल गया तो किस मुँह से अपने बेटे से कहूँगा कि बेटा जीवन में अपनी मेहनत पर भरोसा करना, भाग्य पर नहीं और न ही जीवन में किसी जुगाड या शार्टकट की आशा करना.
चलते-चलते
बाबा शोभन सरकार ने एक पत्रकार को सपनों का महत्व बताते हुए कहा-
तुम एक सपना हो, मैं एक सपना हूँ
हर क्षण एक सपना है,यह जीवन एक सपना है
इसके साथ मैं यह जोडना चाहूँगा-
जीवन में घटित हो कुछ अच्छा सोचना जरूर ।
अच्छे,शुभ और कल्याण के सपने देखना जरूर ॥
पर सपने हों साकार इसलिए मेहनत करना जरूर।
बुद्धि और हाथ भगवान का दिया यही अपना है॥
इनके उपयोग से सपनों को सत्य करना धर्म अपना है।
हर क्षण एक सपना है,यह जीवन एक सपना है॥
मैं अपने बेटे को हमेशा यही बताता हूँ कि बेटा अपनी मेहनत पर भरोसा करना और कभी भी जिंदगी में चमत्कार की या जुगाड या शॉर्टकट की आशा मत करना. कुछ लोगों को जरूर जीवन में शॉर्टकट मिल जाते हैं पर अधिकांश लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है. मैंने चमत्कारों के विषय में सुना भर है पर मुझे जीवन में प्रत्यक्ष कभी जीवन में चमत्कार के दर्शन नहीं हुए. जीवन में जो कुछ भी हासिल हुआ वह सिर्फ मेहनत के बल पर ही मिल सका है. पर एक ऐसे प्रदेश में जहाँ लोगों के पास अवसरों की कमी है भले ही उसका कारण अदूरदर्शी राजनीतिज्ञ और जाति पर आधारित राजनीति तथा सर्वव्यापी भ्रष्टाचार हो ,जनता में चमत्कार के सहारे समस्याओं का समाधान हो जाने की आशा जगना स्वाभाविक है क्योंकि जुगाड,शार्टकट और चमत्कार छोडकर अब और किसी वस्तु का आसरा उसके पास नहीं है.
सोना मिलने संबंधी सपने के सच हो जाने के चमत्कार की आशा ने तमाम लोगों के जीवन में जरूर बहार ला दी है. आर्केयोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया जो सदैव धन और स्टाफ की कमी का रोना रोता रहता है और देश की तमाम धरोहरों पर एक दो बोर्ड लगा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है भले ही वह धराशाई होने की दिशा में आगे बढ रही हो या फिर चोर और तस्कर वहाँ से अमूल्य स्थापत्य और मूर्तिकला की वस्तुएं चुराकर बेच रहे हों ;इस खुदाई के चलते लाइमलाइट में है और फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि उसके पास धन या स्टाफ की कोई कमी है. मीडिया खुश है कि उसकी टी आर पी बढ रही है. केंद्र और प्रदेश दोनों ही स्थानों पर सत्तापक्ष खुश है कि लोग देश और जनता की सारी समस्याएं भूल कर खजाने की चर्चा में लगे हुए हैं. प्रदेश की सरकार के लिए यह बडे राहत की बात है क्योंकि मुजफ्फरनगर के दंगों की याद को भुलाने के लिए यह खुदाई मुफीद दवा साबित हो रही है. देश की सरकार के एक मंत्री ने तो यहाँ तक आशा व्यक्त कर दी है कि सोना मिलने पर देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, मुख्य विपक्षी दल के सारे अभियान की हवा निकल जाएगी और यही सरकार फिर से चुनाव जीत कर दोबारा सत्ता में वापस आ जाएगी. स्थानीय जनता खुश है क्योंकि उसे लग रहा है कि इस सोने का कुछ न कुछ असर उसके ऊपर जरूर पडेगा तथा और कुछ नहीं तो उसके क्षेत्र का ही कुछ विकास हो जाएगा. राजा रामबख्श सिंह के वंशज खुश हैं कि उन्हें भी सोने में उनका जायज हक मिलेगा. ऐसे में बरबस ही गालिब का यह शेर याद आ जाता है-"दिल बहलाने को गालिब खयाल अच्छा है."
बहुत साल पहले बहू बेगम के खजाने की खोज में पुरातत्व विभाग ने फैजाबाद में आई.टी.आई. के पीछे जंगे शहीद की मजार के आस-पास के क्षेत्र की खुदाई करवाई थी जो तीन-चार महीनों तक चलती रही .उन दिनों वहाँ दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता था. रोज अखबारों में लेख निकलते रहते थे.फिर एक दिन अचानक पुरातत्व विभाग के लोग वहां से नदारद हो गए. सुनाई दिया कि सरकार ने आगे खुदाई जारी करने के लिए ग्रांट नहीं दी. स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि पुरातत्व विभाग के लोग फिर लौट कर वापस आएंगे और बहू बेगम का खजाना खोज निकालेंगे पर वे वापस लौट कर नहीं आए. जनता के लिए कुछ महीनों तक खजाने की चर्चा करना अच्छा शगल रहा. आम जनता के एक वर्ग का तो यहाँ तक मानना था कि पुरातत्व विभाग के लोगों को खजाना मिल गया जिसे लेकर वे चुपचाप चले गए.पर धीरे-धीरे खजाने की चर्चा समाप्त हो गई और आज कोई बहू बेगम के खजाने का नाम भी नहीं लेता.
मैं तो इसी संशय में हूँ कि सोने के भंडार के खोज संबंधी इस संपूर्ण कार्यकलाप की जो सरकारी तत्वाधान में हो रहा है,अपने बेटे के समक्ष कैसे विवेचना करूँ और खुदा न खास्ता यदि कहीं सोना मिल गया तो किस मुँह से अपने बेटे से कहूँगा कि बेटा जीवन में अपनी मेहनत पर भरोसा करना, भाग्य पर नहीं और न ही जीवन में किसी जुगाड या शार्टकट की आशा करना.
चलते-चलते
बाबा शोभन सरकार ने एक पत्रकार को सपनों का महत्व बताते हुए कहा-
तुम एक सपना हो, मैं एक सपना हूँ
हर क्षण एक सपना है,यह जीवन एक सपना है
इसके साथ मैं यह जोडना चाहूँगा-
जीवन में घटित हो कुछ अच्छा सोचना जरूर ।
अच्छे,शुभ और कल्याण के सपने देखना जरूर ॥
पर सपने हों साकार इसलिए मेहनत करना जरूर।
बुद्धि और हाथ भगवान का दिया यही अपना है॥
इनके उपयोग से सपनों को सत्य करना धर्म अपना है।
हर क्षण एक सपना है,यह जीवन एक सपना है॥
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