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शनिवार, 9 अप्रैल 2016

~ गजल (साल्टलेक,सेक्टर-5, कोलकाता पर ) ~





~ गजल (साल्टलेक,सेक्टर-5, कोलकाता पर)~

शहर के इस हिस्से में कहीं धूप तो कहीं छाँव है
भीतर मैकडोनाल्ड तो पटरी पे चाय की दुकान है

भटकने की जरूरत नहीं जेब में हैं कितने पैसे
उसके अनुकूल ही हर समस्या का समाधान है

सड़क के इस पार खड़ी है बहुमंजिली इमारत
उस पार सुकूँ देता 'नलबन' का सरोवर-उद्यान है

बस में मैले- कुचैले कपड़ों में भारत माँ की बेटी
गोद में उसकी दूध को मचलता अधनंगा नादान है

सोनमुहर के वृक्ष के नीचे बतलाता प्रेमी जोड़ा
हाथों में लिए हाथ दिली लहरों का करता बयान है

उस शहर के बरक्स जहाँ हर तरफ धूप ही धूप है
यह लगता जैसे किसी मरुभूमि में नखलिस्तान है

धूप के लश्कर से मुहब्बत भरे मुकाबले को तैयार
'संजय' मौजे सबा और आमों से लदा सायबान है
         - संजय त्रिपाठी

2 टिप्‍पणियां:

  1. धूप के लश्कर से मुहब्बत भरे मुकाबले को तैयार
    'संजय' मौजे सबा और आमों से लदा सायबान है

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