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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

- डाँस बार (संस्मरण पर आधारित) -

                          डाँस बार
        दो दिन पहले समाचार पत्र में सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार के साथ चल रहे डांस बार के मामले में पढी कि भीख माँगने की अपेक्षा डांस कर पैसा कमाना ज्यादा ठीक है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वह डाँस पर रोक नहीं लगा रही बल्कि उनका नियमन कर रही है ताकि डाँस की आड में अश्लीलता न हो। मैं एक सच्ची कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ जो बताती है कि डाँस बार जाने की लत लग जाने पर मध्यमवर्गीय व्यक्ति का हश्र क्या हो सकता है।

          श्री वरेकर मेरे संस्थान में कार्य करते थे । उनसे परिचय कराते हुए मेरे कार्यालय के एक सहकर्मी ने बताया कि उनका अपना फ्लैट है और पत्नी भी वोल्टास में नौकरी करती हैं तथा बहुत अच्छा वेतन पाती हैं जितना कि उन दिनों सरकारी कर्मचारियों को मयस्सर नहीं था। कुछ वर्ष गुजर गए। फिर सुना कि श्री वरेकर ने अपना फ्लैट बेच दिया और वे मेरे पास स्थित एक सरकारी आवास में रहने आ गए। एक दिन श्री वरेकर ने मुझसे कुछ धनराशि उधार माँगी। कुछ दिनों के बाद उन्होंने पुन: मुझसे कुछ धनराशि उधार माँगी। इस बार मैंने इस बात का जिक्र अपने कार्यालय के उन सहकर्मी से किया जिन्होंने मेरा परिचय श्री वरेकर से कराया था। मैंने कहा कि आपने बताया था कि श्री वरेकर और उनकी पत्नी दोनों नौकरी करते हुए कुल मिलाकर बहुत अच्छा वेतन पाते हैं, वे फिर भी उधार माँगते हैं, आखिर बात क्या है। उन सहकर्मी ने मुझे श्री वरेकर को उधार देने से मना किया और कहा कि उनमें यह आदत बढ़ गई है। इसी कारण कुछ दिन पहले उन सहकर्मी ने श्री वरेकर द्वारा पैसा माँगने पर मना कर दिया था। एक दूसरे विभाग के व्यक्ति ने बताया कि श्री वरेकर को डांस बार जाने की लत लग गई है तथा वे रुपयों की माला बनाकर वहाँ ले जाते हैं और नर्तकियों को पहनाते हैं। उस दिन के बाद से श्री वरेकर द्वारा पैसा माँगने पर मैं मना करने लगा।
          फिर एक दिन सुना कि श्री वरेकर ने कार्यालय के काम से लिया गया पैसा कहीं खर्च कर दिया और वह उनकी तनख्वाह से कट रहा था। फिर यह भी सुना कि श्री वरेकर नौकरी दिलाने के नाम पर या लोगों का कोई काम करा देने के नाम पर भी उनसे पैसा ले लेते हैं। 

        एक दिन मैं अपने परिचित एक मिश्रजी के यहाँ मिलने के लिए गया। उन्होंने अपने गाँव से आए एक व्यक्ति से मेरा परिचय करवाते हुए उसे अपना भतीजा बताया और साथ ही यह भी कि उसकी नौकरी लगवाने के लिए उन्होंने श्री वरेकर को 5000 रुपए दिए हैं। मैंने श्री वरेकर की कहानी उन्हें सुनाई और सलाह दी कि वे अपना पैसा वापस पाने का प्रयास करें। खैर कुछ दिनों के बाद पुन: मुलाकात होने पर उन्होंने बताया कि श्री वरेकर को डरा-धमका कर उन्होंने अपना पैसा वापस ले लिया है। श्री वरेकर के पड़ोस में रहने वाली एक बालिका ने बताया कि एक दिन कोई पुरुष और नेवारी साड़ी पहने एक महिला श्री वरेकर के घर में मोटरसाइकिल पर सवार होकर आए थे। फिर उनके घर से झगडने की आवाज आ रही थी। फिर रोने की आवाज भी आ रही थी। आखिर में वे पुरुष और महिला वरेकर और उनकी पत्नी को डरा-धमका कर चले गए।

        कुछ दिनों बाद मेरा वहाँ से स्थानांतरण हो गया । पर मैं जब तक वहाँ रहा श्री वरेकर के बारे में इसी प्रकार की बातें सुनता रहा। 

         अब आप ही बताइए कि डांस बार आम जनता के लिए कितने लाभदायक हैं। क्या वे भी शराबखानों की तरह परिवारों की बर्बादी का कारण नहीं बनते।

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